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"उसके सपने / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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उससे कहा गया
 
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सपने देखो
 
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उसने तमाम कोशिश की
 
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सपने देखने की
 
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हर बार दिखा ढेर से भात पर
 
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मछली का टुकड़ा
 
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उससे कहा गया
 
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सपने ऊँचे होने चाहिए
 
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उसके सपने में  
 
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भात का ढेर ऊँचा होता गया
 
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मछली का टुकड़ा बड़ा
 
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उससे फिर कहा गया
 
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"जैसा सपना देखोगे वैसा बनोगे"
 
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उसके सामने सवाल था
 
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भात बने या मछली का टुकड़ा
 
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उसने सोचा भात से  
 
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कुनबे की भूख मिट जाएगी
 
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मछली कोई भी फाँस सकता है
 
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वह सपनो को भुला
 
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भात की जुगाड़ में लग गया।
 
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18:22, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

उससे कहा गया
सपने देखो
उसने तमाम कोशिश की
सपने देखने की
हर बार दिखा ढेर से भात पर
मछली का टुकड़ा

उससे कहा गया
सपने ऊँचे होने चाहिए
उसके सपने में
भात का ढेर ऊँचा होता गया
मछली का टुकड़ा बड़ा

उससे फिर कहा गया
"जैसा सपना देखोगे वैसा बनोगे"
उसके सामने सवाल था
भात बने या मछली का टुकड़ा

उसने सोचा भात से
कुनबे की भूख मिट जाएगी
मछली कोई भी फाँस सकता है

वह सपनो को भुला
भात की जुगाड़ में लग गया।