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सब्ज़ीवाले की टोकरी में
 
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बैंगन प्याज मूली में
 
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भाषा पा जाती है
 
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सब्ज़ हरियाली
 
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मछली वाली गंध में
 
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उसकी लहराती चाल में
 
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भाषा पा जाती है
 
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मादक सुगंध
 
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पानवाले की टोकरी में
 
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कत्थे, चूने, सुपारी में
 
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बतरस की बलिहारी में
 
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भाषा बच जाती है सूखने से
 
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भाषा पंडितों की जकड़न
 
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विद्वानों की पकड़
 
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चाबुक-सी पड़ती है तो
 
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भागी भागती है बाज़ार की तरफ़
 
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18:27, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

सब्ज़ीवाले की टोकरी में
बैंगन प्याज मूली में
भाषा पा जाती है
सब्ज़ हरियाली

मछली वाली गंध में
उसकी लहराती चाल में
भाषा पा जाती है
मादक सुगंध

पानवाले की टोकरी में
कत्थे, चूने, सुपारी में
बतरस की बलिहारी में
भाषा बच जाती है सूखने से

भाषा पंडितों की जकड़न
विद्वानों की पकड़
चाबुक-सी पड़ती है तो
भागी भागती है बाज़ार की तरफ़