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"स्मृतियों का जंगल / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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हर अपने की मौत  
 
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मुझे गर्भित कर देती है
 
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एक नन्हें से खालीपन से
 
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जो  
 
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हुंकारता है
 
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डराता है
 
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दानव बन बैठ जाता है
 
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मेरे खाली क्षणों में
 
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मैं दौड़ती हूँ , अपने से दूर
 
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थक कर गिरती हूँ
 
थक कर गिरती हूँ
 
 
पस्त, और भरने लगती हूँ
 
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खाली पने को ज़िन्दगी से
 
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इसी तरह
 
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हर अपने की मौत
 
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मुझे खींच कर सुपुर्द कर देती है
 
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स्मृतियाँ के जंगल के
 
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18:36, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

हर अपने की मौत
मुझे गर्भित कर देती है
एक नन्हें से खालीपन से

जो
हुंकारता है
डराता है
दानव बन बैठ जाता है
मेरे खाली क्षणों में

मैं दौड़ती हूँ , अपने से दूर
थक कर गिरती हूँ
पस्त, और भरने लगती हूँ
खाली पने को ज़िन्दगी से

इसी तरह
हर अपने की मौत
मुझे खींच कर सुपुर्द कर देती है
स्मृतियाँ के जंगल के