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नदी की कहानी / कन्हैयालाल नंदन
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04:56, 1 सितम्बर 2013
बड़ा जानलेवा है ये दरमियाना
मुहबत
मुहब्बत
का अंजाम हरदम यही था
भवर
भँवर
देखना कूदना डूब जाना।
अभी मुझ से फिर आप से फिर किसी
मियाँ ये
मुहबत
मुहब्बत
है या कारखाना।
ये तन्हाईयाँ, याद भी, चान्दनी भी,
गज़ब का वज़न है सम्भलके उठाना।
</poem>
Sharda suman
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