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− | + | क्या सचमुच परख लिया था तुमने मुझे | |
− | + | पूरा का पूरा। | |
− | + | क्या सोचकर | |
− | + | रचाई थी तुमने अपने हाथों में मेंहदी | |
− | + | लगवाया था अपने बदन पर | |
− | अपने | + | हल्दी का उबटन |
− | + | डाली थी गले में वरमाला | |
− | + | सात फेरों के साथ लिया था मुझसे वादा | |
− | + | सात वचनों का। | |
− | मुझसे | + | चौक–चौबारे |
− | + | और पूजकर कुलदेव–देवियाँ | |
− | + | रखकर व्रत–उपवास और | |
+ | मन्नतें माँगकर तीर्थों की कष्टपूर्ण यात्राओं में | ||
+ | गुहार लगाते हुए जिस वर की | ||
+ | सैकड़ों बार की थी तुमने कामना | ||
+ | मैं क्या वही हूँ? | ||
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22:08, 7 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
ऐ लड़की,
क्यों किया था फैसला तुमने
मेरे साथ अपने गठबंधन का।
जानकर मेरे बारे में
मुझसे मिलकर और बातें कर थोड़ी–सी
क्या सचमुच परख लिया था तुमने मुझे
पूरा का पूरा।
क्या सोचकर
रचाई थी तुमने अपने हाथों में मेंहदी
लगवाया था अपने बदन पर
हल्दी का उबटन
डाली थी गले में वरमाला
सात फेरों के साथ लिया था मुझसे वादा
सात वचनों का।
चौक–चौबारे
और पूजकर कुलदेव–देवियाँ
रखकर व्रत–उपवास और
मन्नतें माँगकर तीर्थों की कष्टपूर्ण यात्राओं में
गुहार लगाते हुए जिस वर की
सैकड़ों बार की थी तुमने कामना
मैं क्या वही हूँ?