भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कैसे कटी जिनगी हमार / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 
|भाषा=भोजपुरी
 
|भाषा=भोजपुरी
}}
+
}}{{KKCatBhojpuriRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
कइसे कटी जिनगी हमार
 
कइसे कटी जिनगी हमार

21:15, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कइसे कटी जिनगी हमार
दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
दिहल..अ...
कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
चारों तरफ भईंल अन्हार
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...