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जब मैं पैदा हुआ अखबारों में लिपटे हुए सैटर्न दबे-पिचके उदरों कोअन्तरिक्ष में उछाल देते हैं-मेरे कन्धों चाँद पर चढ़ा पहुंचा हुआ था एक बूढ़ा लघुमानव बढ़ी शेवऔर भी लघु हो जाता है.झुकी गर्दन, फटेहालजल रहे हैं चन्द अखबारअब वह बूढ़ा मुझे ओढ़कर और उनके प्रकाश मेंमेरी होते हुए वैज्ञानिक परीक्षणकुछ और करोड़ लोगों कोपेड़ का खोल बनने के लिए करदेते हैं विवशतथा मूर्ख जन-समुदाय तालियाँ पीट-पीट करअपनी नपुँसकता का देता है प्रमाण.विरोध का हल्का-सा स्वरमंगलग्रह की ओर दृष्टि किए हुएऔर भी हल्का हो जाता हैविश्व इतना छोटा हो गया हैकि बिल्कुल 'छोटा''छोटापन' ही ज़ुबान पर नाचना चाहता आज की सभ्यता का पर्याय हैयह साज़िश कुछ बड़ा लिए हुए सभ्यता के अवशेषहो रहे हैं ध्वंस और मानव हर ऊंची उड़न के साथ कुछ और नीचा हो जाता है उसकीमेरी आवाज़ बंधुओ! तुम्हें खाने को उपलब्ध है बारूदपीने के खिलाफ़लिए अल्कोहल या काकटेलमैं नहीं और तुम्हें क्या चाहिएनैसर्गिकता की दुहाई देकर नग्न हो सकता उसका हिस्सेदारजाओअपनी आदि सभ्यता और संस्कृति कीकुछ तो करो रक्षाया फिर मानव होने से दे दो त्यागपत्रताकि फिर किसी को मनु होने का मिले चाँस.यह स्थान कई शताब्दियों से रिक्त है.मित्रो! तुम भी इकट्ठा करो बारूद या अखबारों की कतरनेंऔर उनका ढेर लगाकर समाधिस्थ हो जाओतुम भी खरीद लोमानव-कल्याण कम्पनियों के कुछ शेयरऔर किसी शान्ति-पुरस्कार की प्रतीक्षा मेंमन्त्रोच्चारण की प्रक्रिया में व्यस्तकुछ मंगलकामनाओं केसही-सही ड्राफ्ट तैयार करो.
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