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"रचाव / राजूराम बिजारणियां" के अवतरणों में अंतर

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कवि रो रचाव.?
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20:53, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

कविता कोनी
फाङ’र धरती री कूख
चाण’चक उपङ्‍यो भंफोड.!
कविता कोनी
खींप री खिंपोळी में
पळता भूंडिया
जका
बगत-बेगत
उड। जावै
अचपळी पून रो
पकड। बां’वङो.!
नीं है कविता
खेत बिचाळै
खङ्‍यो अङवो
जको
ना खावै ना खावणद्‍यै।!
कविता सिरजण है
जीवण रो!
अनुभव री खात में
सबदां रा बीज भरै
नूंवीं-नकोर आंख्यां में
सुपनां रा
निरवाळा रंग।
अब बता-
कींकर कम हुवै
सिरजणहार रै सिरजण सूं
कवि रो रचाव.?