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"मां /मीठेश निर्मोही" के अवतरणों में अंतर
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हरी नीं व्हे जावै | हरी नीं व्हे जावै | ||
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थूं आपरौ आपौ | थूं आपरौ आपौ | ||
पांतरगी | पांतरगी | ||
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तद इज तौ म्हैं | तद इज तौ म्हैं | ||
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औरूं नीं दागीजै | औरूं नीं दागीजै | ||
कोई | कोई | ||
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11:08, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
म्हनै बुलाय
सूंपणी चावती ही
थूं।
थनै अर
थारी
कूंख नै
औ
जतळायां
कै
फगत
कस्टीज्यां ई
हरी नीं व्हे जावै
मां री
कूंख।
दागल ई व्हे जावै
जद
जाया बिसरावै
पूत जिणियां ई
निपूती बाजै ।
पण औ कांई
म्हनै सांम्ही देख
ऊंडै हेज
थूं आपरौ आपौ
पांतरगी
मां!
तद इज तौ म्हैं
किणी मरसिया रै बणण सूं पैली
थनै रच लेवणी चावूं
मां कै
कदैई
औरूं नीं दागीजै
कोई
कूंख।