भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम / नारायणसिंह भाटी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नारायणसिंह भाटी |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani‎}} {{KKCatKavita‎}}<poem>र…)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
{{KKCatMoolRajasthani‎}}
+
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>रे थूं कसूंबल सो रंगीलौ
+
{{KKCatRajasthani‎Rachna}}
 +
<poem>
 +
रे थूं कसूंबल सो रंगीलौ
 
मीठौ मद सूं
 
मीठौ मद सूं
 
हठीलौ पवन सूं
 
हठीलौ पवन सूं
पंक्ति 17: पंक्ति 19:
 
पण आंधौ है ।
 
पण आंधौ है ।
 
बे मोल बे ठौड़ मिळै है
 
बे मोल बे ठौड़ मिळै है
पण मंहगौ है ।</poem>
+
पण मंहगौ है ।
 +
</poem>

10:01, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

रे थूं कसूंबल सो रंगीलौ
मीठौ मद सूं
हठीलौ पवन सूं
चंचळ पलकां सो
लाज सो लजीजौ
खोड़ीलौ है भंवर भंवरां सो
भोळौ है अचपळौ है ।
धन है मन रौ
सिंणगार जीवण रौ
मन-आंख्यां रौ ओखद
पण आंधौ है ।
बे मोल बे ठौड़ मिळै है
पण मंहगौ है ।