"बिरहा / अवधी" के अवतरणों में अंतर
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जौ मैं जनतिउँ ये लवँगरि एतनी महकबिउ हो। | जौ मैं जनतिउँ ये लवँगरि एतनी महकबिउ हो। | ||
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लवँगरि रँगतिउँ छयलवा के पाग सहरबा म मगकत हो। | लवँगरि रँगतिउँ छयलवा के पाग सहरबा म मगकत हो। | ||
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अरे अरे कारी बदरिया तुहहिं मोरि बादरि हो। | अरे अरे कारी बदरिया तुहहिं मोरि बादरि हो। | ||
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बदरी जाइ बरसहु वहि देस जहाँ पिए छाए हो। | बदरी जाइ बरसहु वहि देस जहाँ पिए छाए हो। | ||
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बाउ बहइ पुरवइया त पछुवा झकोरइ हो। | बाउ बहइ पुरवइया त पछुवा झकोरइ हो। | ||
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बहिनी दिहेऊँ केवँरिया ओढ़काई सोवउँ सुख नींदरि हो।। | बहिनी दिहेऊँ केवँरिया ओढ़काई सोवउँ सुख नींदरि हो।। | ||
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की तुँइ कुकुर बिलरिया, सहर सब सोवइ हो। | की तुँइ कुकुर बिलरिया, सहर सब सोवइ हो। | ||
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की तुँइ ससुर पहरुवा, केंवरिया भड़कायेउ हो। | की तुँइ ससुर पहरुवा, केंवरिया भड़कायेउ हो। | ||
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ना हम कुकुर बिलरिया न ससुर पहरुवा हो। | ना हम कुकुर बिलरिया न ससुर पहरुवा हो। | ||
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धना हम अही तोहरा नयकबा बदरिया बोलायेसि हो।। | धना हम अही तोहरा नयकबा बदरिया बोलायेसि हो।। | ||
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आधी राति बीति गई बतियाँ, तिहाई राति चितियाँ हो। | आधी राति बीति गई बतियाँ, तिहाई राति चितियाँ हो। | ||
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रामा बारह बरस का सनेह जोरत मुरगा बोलइ हो।। | रामा बारह बरस का सनेह जोरत मुरगा बोलइ हो।। | ||
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तोरउँ मैं मुरगा का ठोर गटइया मरोरउँ हो। | तोरउँ मैं मुरगा का ठोर गटइया मरोरउँ हो। | ||
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रामा काहे किहेउ भिनसार त पियहिं जतायेउ हो।। | रामा काहे किहेउ भिनसार त पियहिं जतायेउ हो।। | ||
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काहे रानी तोरहु ठोर गटइया मरोरहु हो। | काहे रानी तोरहु ठोर गटइया मरोरहु हो। | ||
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रानी हौइगे धरमवाँ कै जून भोर होत बोलेउँ हो।। | रानी हौइगे धरमवाँ कै जून भोर होत बोलेउँ हो।। | ||
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14:34, 29 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
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जौ मैं जनतिउँ ये लवँगरि एतनी महकबिउ हो।
लवँगरि रँगतिउँ छयलवा के पाग सहरबा म मगकत हो।
अरे अरे कारी बदरिया तुहहिं मोरि बादरि हो।
बदरी जाइ बरसहु वहि देस जहाँ पिए छाए हो।
बाउ बहइ पुरवइया त पछुवा झकोरइ हो।
बहिनी दिहेऊँ केवँरिया ओढ़काई सोवउँ सुख नींदरि हो।।
की तुँइ कुकुर बिलरिया, सहर सब सोवइ हो।
की तुँइ ससुर पहरुवा, केंवरिया भड़कायेउ हो।
ना हम कुकुर बिलरिया न ससुर पहरुवा हो।
धना हम अही तोहरा नयकबा बदरिया बोलायेसि हो।।
आधी राति बीति गई बतियाँ, तिहाई राति चितियाँ हो।
रामा बारह बरस का सनेह जोरत मुरगा बोलइ हो।।
तोरउँ मैं मुरगा का ठोर गटइया मरोरउँ हो।
रामा काहे किहेउ भिनसार त पियहिं जतायेउ हो।।
काहे रानी तोरहु ठोर गटइया मरोरहु हो।
रानी हौइगे धरमवाँ कै जून भोर होत बोलेउँ हो।।