भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हिस्से में / मिथिलेश कुमार राय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मिथिलेश कुमार राय |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:36, 16 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण

इन्हें रंग धूप ने दिया है
और गंध पसीने से मिली है इन्हें

यूं तो धूप ने चाहा था
सबको रंग देना अपनी रंग में
इच्छा थी पसीने की भी
डूबो डालने की अपनी गंध में सबको
मगर सब ये नहीं थे

कुछ ने धूप को देखा भी नहीं
पसीने को भी नहीं पूछा कुछनेे
शेष सारे निकल गये खेतों में
जहां धूप फसल पका रही थी
बाट जोह रही थी पसीना