"जन्मदिन / राजा खुगशाल" के अवतरणों में अंतर
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जैसे तनख्वा ह का दिन आता है | जैसे तनख्वा ह का दिन आता है | ||
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जैसे नहर में पानी | जैसे नहर में पानी | ||
खिड़कियों से धूप और हवा | खिड़कियों से धूप और हवा | ||
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जैसे अपने गाँव आते हैं वर्षों बाद लोग | जैसे अपने गाँव आते हैं वर्षों बाद लोग | ||
− | जन्म दिन | + | जन्म दिन तुम्हारे आने पर |
जन्म होना चाहिए एक नए दिन का। | जन्म होना चाहिए एक नए दिन का। | ||
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09:13, 29 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
जन्ममदिन
साल में सिर्फ एक बार आते हो तुम
उत्साेह और उम्मी दों के साथ
नए विचार और नए संकल्पोंम के साथ
बार-बार आना चाहिए तुम्हें
अंधेरे में रोशनी की तरह
रोशनी के पुल पार करती हुई आवाजों की तरह
गाँव से गाँव तक
शहर से शहरों तक पहुंचना चाहिए
जैसे शब्दर आते हैं कविता में
प्रवास से लौटकर पंछी आते हैं
आते हुए ऐसा दिखना चाहिए तुम्हें
जैसे मुसाफिर दिखते हैं पगडंडियों पर
पहाड़ों पर बर्फ और घाटियों में नदियाँ
खेतों के आसमान में बादल
और खत्तियों में अनाज
जैसे तनख्वा ह का दिन आता है
जैसे राशन आता है घरों में
समुद्र में ज्वार आता है जैसे
जैसे सन्नाटे में तूफान
बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन
जैसे नहर में पानी
खिड़कियों से धूप और हवा
जैसे फल आते हैं पेड़ों पर
जैसे अपने गाँव आते हैं वर्षों बाद लोग
जन्म दिन तुम्हारे आने पर
जन्म होना चाहिए एक नए दिन का।