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"बादल / निवेदिता" के अवतरणों में अंतर

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जो बरस पड़ते हैं  
 
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इस बिखरती हुई आधी रात में  
 
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खाली खुले छत पर  
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खाली खुली छत पर  
चांद की रौशनी में  
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चाँद की रौशनी में  
 
बुलाते हैं रात भर  
 
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बुलाते हैं   
 
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कहते हैं तुम्हारे शहर में हम आए हैं  
 
कहते हैं तुम्हारे शहर में हम आए हैं  
 
पीली मिट्टी के रास्तों  
 
पीली मिट्टी के रास्तों  
मोहगनी के घने पेड से गुजरकर
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मोहगनी के घने पेड़ से गुज़रकर
 
तुम्हारी गली में बरस रहे हैं  
 
तुम्हारी गली में बरस रहे हैं  
 
वे बड़े नसीब वाले हैं राहगीर  
 
वे बड़े नसीब वाले हैं राहगीर  
जो कायनाती आसमान का दीदार करते हैं  
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जो क़ायनाती आसमान का दीदार करते हैं  
 
तारों के उजास में  
 
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बादलों के सीने से लिपटे  
 
बादलों के सीने से लिपटे  
खुली सड़कों पर भीगते रहते-भीगते जाते।
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खुली सड़कों पर भीगते रहते -- भीगते जाते ।
 
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13:53, 9 मार्च 2014 के समय का अवतरण

मिलना चाहती थी
स्याह बादलों से
जो बरस पड़ते हैं
इस बिखरती हुई आधी रात में
खाली खुली छत पर
चाँद की रौशनी में
बुलाते हैं रात भर
बुलाते हैं
 
नीले और आसमानी बादल
कहते हैं तुम्हारे शहर में हम आए हैं
पीली मिट्टी के रास्तों
मोहगनी के घने पेड़ से गुज़रकर
तुम्हारी गली में बरस रहे हैं
वे बड़े नसीब वाले हैं राहगीर
जो क़ायनाती आसमान का दीदार करते हैं
तारों के उजास में
बादलों के सीने से लिपटे
खुली सड़कों पर भीगते रहते -- भीगते जाते ।