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स्त्री / सुमित्रानंदन पंत

3 bytes removed, 10:43, 3 दिसम्बर 2007
यदि कहीं नरक है इस भू पर, तो वह भी नारी के अन्दर,<br>
वस्नाव्र्त वासनावर्त में दल प्रखर <br>
वह अंध गर्त में चिर दुस्तर <br>
नर को धेकेल सकती सत्वर ! <br>
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