भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जच्चा मेरी भोली / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: जच्चा मेरी भोली –भाली री <br> के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री <br> सास-नणद की च...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
जच्चा मेरी भोली –भाली री <br> | जच्चा मेरी भोली –भाली री <br> | ||
+ | |||
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री <br> | के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री <br> | ||
सास-नणद की चुटिया फाड़ै<br> | सास-नणद की चुटिया फाड़ै<br> | ||
+ | |||
आई गई का लहँगा री<br> | आई गई का लहँगा री<br> | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 10: | ||
ससुर –जेठ की मूछैं फाड़ै <br> | ससुर –जेठ की मूछैं फाड़ै <br> | ||
+ | |||
आए- गए का खेस उतारै<br> | आए- गए का खेस उतारै<br> | ||
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री<br> | के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री<br> | ||
− | जच्चा मेरी भोली –भाली री<br> | + | |
+ | जच्चा मेरी भोली –भाली री<br> | ||
+ | >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> | ||
+ | |||
+ | मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो<br> | ||
+ | |||
+ | मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।<br> | ||
+ | |||
+ | सासू की जगह मेरी अम्मा को बुला दियो<br> | ||
+ | |||
+ | मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो<br> | ||
+ | |||
+ | सासू का नेग मेरी अम्मा को दिला दियो<br> | ||
+ | |||
+ | बक्से चाबी मेरी चोटी मैं बाँध दियो<br> | ||
+ | |||
+ | मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।<br> | ||
+ | |||
+ | ननद की जगह मेरी बहना को बुला दियो<br> | ||
+ | |||
+ | ननदण का नेग मेरी बहना को दिला दियो<br> | ||
+ | |||
+ | मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।<br> |
19:55, 3 दिसम्बर 2007 का अवतरण
जच्चा मेरी भोली –भाली री
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
सास-नणद की चुटिया फाड़ै
आई गई का लहँगा री
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
ससुर –जेठ की मूछैं फाड़ै
आए- गए का खेस उतारै
के जच्चा मेरी लड़णा ना जाणै री
जच्चा मेरी भोली –भाली री
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
सासू की जगह मेरी अम्मा को बुला दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
सासू का नेग मेरी अम्मा को दिला दियो
बक्से चाबी मेरी चोटी मैं बाँध दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
ननद की जगह मेरी बहना को बुला दियो
ननदण का नेग मेरी बहना को दिला दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।