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"हमें तुम्हारी दया नहीं / तारा सिंह" के अवतरणों में अंतर
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20:40, 16 मई 2014 के समय का अवतरण
हमें तुम्हारी दया नहीं, दुआ चाहिये, जिसे
अपना कह सकें जिसे, ऐसा एक खुदा चाहिये
बहुत हुए तनहा तरीके इश्क में हम, हमें और
नहीं राह चलने, आपके नक्शे पा चाहिये
कूए दुश्मन की गली में जाने से पहले अच्छी
तरह देख लेना, वहाँ की आवो-हवा चाहिये
सीने से लगाये रखती है, वह आश्चर्य क्या
जो कहे, तुम्हारे दिल का एक टुकड़ा चाहिये
सब्र करने का हमको अंदाज नहीं, हम कैसे
कहें उनसे कि हमको पैमाने-वफ़ा चाहिये