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व्याकरण / सुलोचना वर्मा

No change in size, 18:23, 12 जून 2014
जीवन तब से कितना आगे निकल गया है
और एक आप हैं, की बस वहीं रह गये
मेरे हमकदम हो लो, मेरे बुद्धिजीवि बुद्धिजीवी मित्रों
साथ चलना ही जीवन है, ऐसा महापुरुष कह गये
</poem>
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