भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तलाश / कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=पंजाबी के कवि |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / पंजाबी के ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKAnooditRachna | {{KKAnooditRachna | ||
|रचनाकार=पंजाबी के कवि | |रचनाकार=पंजाबी के कवि | ||
− | |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / | + | |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / कमल |
}} | }} | ||
[[Category:पंजाबी भाषा]] | [[Category:पंजाबी भाषा]] |
01:29, 24 दिसम्बर 2007 का अवतरण
|
मुझे वो शहर पता नहीं
किस दिन मिलेगा?
वो शहर
जो दूर क्षितिज से पार बसता है
जहाँ गहरे नीले पानी की झील में
सपनों के हंस तैरते हैं
जहाँ ज़िंदगी
गुलाब की तरह महकती है
जहाँ दरिया
कभी न खत्म होने का
गीत गाता है...
मैं कई जन्मों से
उस शहर की तलाश में हूँ
उसको खोजते-खोजते
ज़िंदगी उस सपने की तरह हो गई है
जिसमें हम बस
चलते ही जाते हैं
पहुँचते कहीं भी नहीं।