भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कंठ रुमाल घुटन्ना / बृजनारायण शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बृजनारायण शर्मा |संग्रह=बाँच रहा यादों का लेखा / बृजना...) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=बाँच रहा यादों का लेखा / बृजनारायण शर्मा | |संग्रह=बाँच रहा यादों का लेखा / बृजनारायण शर्मा | ||
}} | }} | ||
+ | [[Category:सॉनेट]] | ||
कंठ रुमाल घुटन्ना लुंगी कमर बंध गोफन | कंठ रुमाल घुटन्ना लुंगी कमर बंध गोफन |
19:24, 5 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
कंठ रुमाल घुटन्ना लुंगी कमर बंध गोफन
का कस कर, मीलों दूर छोड़ घर अपना
इस अनजान शहर में आया लेकर सपना
उदर-पूर्ति का, नए वस्त्र पहनेगा, मोदन
मन का होगा, ग़ज़ब हो गया इस बस्ती में
लम्बी-लम्बी लगी कतारें कैरोसिन की
दुकानों पर, मारी जाती आधे दिन की
मज़दूरी, मतलब नहीं किसी से, मस्ती में
अपनी ही रहते लोग यहाँ के, नाम नहीं
कोई भी लेता, हम से सब मामा जान
करते हैं व्यवहार ढोर-सा, हम अज्ञान
भाव में जीते, चालाकी से काम नहीं
ले पाते बिल्कुल, इस से अच्छा अपना घर
था, सपने मिले ख़ाक में सब इधर आकर !