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"पत्थर भी बोलते हैं / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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09:06, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण


पत्थर भी बोलते हैं

जब चिड़ियों का झुंड

बैठ जाता है उन पर,

और वे चहकती हैं आपस में !

पत्थर के ये बोल

मुझे मीठे लगते हैं,
और हृदय में रस भरते हैं

अंगूरों से निकला

मीठा-मीठा ताज़ा !