भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आज बुरा हाल है / सतबीर पाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतबीर पाई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatHaryan...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:18, 3 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
आज बुरा हाल है
सोच समझ क्यू काल है...टेक
सड़क बणावै धन उपजावै पल भर भी आराम नहीं
दिन और रात कमावै पावै फिर भी पल्लै दाम नहीं
तू तो करै भी कंगाल है...
इतना करता काम वक्त पै ना भोजन पेट भराई रै
बेरोजगारी लाचारी मिलै करकै आस पराई रै
याहे तेरी मिसाल है...
इलेक्शन के टेम भकाकै न्यू बरबाद करै तनै
एक पव्वा देकै पावर लेकै कोन्या याद करै तनै
या इनकी गहरी चाल है...
बी.एस.पी. क बिना तेरा कोई और सहारा ना होगा
पाई वाले सतबीर तेरा इस ढाल गुजारा ना होगा
इब थारा के ख्याल है...