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"जय बोल बेईमान की / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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मन, मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,<br>
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ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।<br>
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मन, मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
झूटों के घर पंडित बाँचें, कथा सत्य भगवान की,<br>
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ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
जय बोलो बेईमान की !<br><br>
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झूटों के घर पंडित बाँचें, कथा सत्य भगवान की,
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जय बोलो बेईमान की !
  
प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल, <br>
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प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल,  
टेप-रिकार्डर में भरे, चमगादड़ के बोल। <br>
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नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की, <br>
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जय बोल बेईमान की !<br><br>
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जय बोल बेईमान की !
  
महँगाई ने कर दिए, राशन-कारड फेस <br>
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महँगाई ने कर दिए, राशन-कारड फेस  
पंख लगाकर उड़ गए, चीनी-मिट्टी तेल।<br>
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‘क्यू’ में धक्का मार किवाड़ें बंद हुई दूकान की, <br>
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जय बोल बेईमान की !<br><br>
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कछुआ की गति चल रहे, लैटर-टेलीग्राम। <br>
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धीरे काम करो, तब होगी उन्नति हिंदुस्तान की, <br>
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जय बोलो बेईमान की !<br><br>
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दिन-दिन बढ़ता जा रहा काले घन का जोर, <br>
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डार-डार सरकार है, पात-पात करचोर। <br>
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नहीं सफल होने दें कोई युक्ति चचा ईमान की, <br>
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चैक केश कर बैंक से, लाया ठेकेदार, <br>
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आज बनाया पुल नया, कल पड़ गई दरार।<br>
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बाँकी झाँकी कर लो काकी, फाइव ईयर प्लान की, <br>
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जय बोलो बईमान की !<br><br>
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वेतन लेने को खड़े प्रोफेसर जगदीश, <br>
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छहसौ पर दस्तखत किए, मिले चार सौ बीस। <br>
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मन ही मन कर रहे कल्पना शेष रकम के दान की, <br>
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दस रुपए की भेंट में, थ्री टायर मिल जायँ। <br>
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हर स्टेशन पर हो पूजा श्री टी.टी. भगवान की, <br>
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बेकारी औ’ भुखमरी, महँगाई घनघोर, <br>
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घिसे-पिटे ये शब्द हैं, बंद कीजिए शोर। <br>
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मंत्र पढ़ दिया कान में, खत्म हुई हड़ताल। <br>
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पत्र-पुष्प से पाकिट भर दी, श्रमिकों के शैतान की, <br>
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जिसकी लाठी बलवती, हाँक ले गया भैंस। <br>
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खाल खिंच रही न्यायालय में, सत्य-धर्म-ईमान की, <br>
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गाड़ी को ले गए भगाकर, जय हो कृपानिधान की,
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जय बोलो बईमान की!
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11:21, 18 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

मन, मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
झूटों के घर पंडित बाँचें, कथा सत्य भगवान की,
जय बोलो बेईमान की !

प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल,
टेप-रिकार्डर में भरे, चमगादड़ के बोल।
नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की,
जय बोल बेईमान की !

महँगाई ने कर दिए, राशन-कारड फेस
पंख लगाकर उड़ गए, चीनी-मिट्टी तेल।
‘क्यू’ में धक्का मार किवाड़ें बंद हुई दूकान की,
जय बोल बेईमान की !

डाक-तार संचार का ‘प्रगति’ कर रहा काम,
कछुआ की गति चल रहे, लैटर-टेलीग्राम।
धीरे काम करो, तब होगी उन्नति हिंदुस्तान की,
जय बोलो बेईमान की !

दिन-दिन बढ़ता जा रहा काले घन का जोर,
डार-डार सरकार है, पात-पात करचोर।
नहीं सफल होने दें कोई युक्ति चचा ईमान की,
जय बोलो बेईमान की !

चैक केश कर बैंक से, लाया ठेकेदार,
आज बनाया पुल नया, कल पड़ गई दरार।
बाँकी झाँकी कर लो काकी, फाइव ईयर प्लान की,
जय बोलो बईमान की !

वेतन लेने को खड़े प्रोफेसर जगदीश,
छहसौ पर दस्तखत किए, मिले चार सौ बीस।
मन ही मन कर रहे कल्पना शेष रकम के दान की,
जय बोलो बईमान की !

खड़े ट्रेन में चल रहे, कक्का धक्का खायँ,
दस रुपए की भेंट में, थ्री टायर मिल जायँ।
हर स्टेशन पर हो पूजा श्री टी.टी. भगवान की,
जय बोलो बईमान की !

बेकारी औ’ भुखमरी, महँगाई घनघोर,
घिसे-पिटे ये शब्द हैं, बंद कीजिए शोर।
अभी जरूरत है जनता के त्याग और बलिदान की,
जय बोलो बईमान की !

मिल-मालिक से मिल गए नेता नमकहलाल,
मंत्र पढ़ दिया कान में, खत्म हुई हड़ताल।
पत्र-पुष्प से पाकिट भर दी, श्रमिकों के शैतान की,
जय बोलो बईमान की !

न्याय और अन्याय का, नोट करो जिफरेंस,
जिसकी लाठी बलवती, हाँक ले गया भैंस।
निर्बल धक्के खाएँ, तूती होल रही बलवान की,
जय बोलो बईमान की !

पर-उपकारी भावना, पेशकार से सीख,
दस रुपए के नोट में बदल गई तारीख।
खाल खिंच रही न्यायालय में, सत्य-धर्म-ईमान की,
जय बोलो बईमान की !

नेता जी की कार से, कुचल गया मजदूर,
बीच सड़कर पर मर गया, हुई गरीबी दूर।
गाड़ी को ले गए भगाकर, जय हो कृपानिधान की,
जय बोलो बईमान की!