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"मौन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
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− | बैठ लें कुछ देर, | + | बैठ लें कुछ देर, |
− | आओ,एक पथ के पथिक-से | + | आओ,एक पथ के पथिक-से |
− | प्रिय, अंत और अनन्त के, | + | प्रिय, अंत और अनन्त के, |
− | तम-गहन-जीवन घेर। | + | तम-गहन-जीवन घेर। |
− | मौन मधु हो जाए | + | मौन मधु हो जाए |
− | भाषा मूकता की आड़ में, | + | भाषा मूकता की आड़ में, |
− | मन सरलता की बाढ़ में, | + | मन सरलता की बाढ़ में, |
− | जल-बिन्दु सा बह जाए। | + | जल-बिन्दु सा बह जाए। |
− | सरल अति स्वच्छ्न्द | + | सरल अति स्वच्छ्न्द |
− | जीवन, प्रात के लघुपात से, | + | जीवन, प्रात के लघुपात से, |
− | उत्थान-पतनाघात से | + | उत्थान-पतनाघात से |
− | रह जाए चुप,निर्द्वन्द ।< | + | रह जाए चुप,निर्द्वन्द । |
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11:42, 15 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
बैठ लें कुछ देर,
आओ,एक पथ के पथिक-से
प्रिय, अंत और अनन्त के,
तम-गहन-जीवन घेर।
मौन मधु हो जाए
भाषा मूकता की आड़ में,
मन सरलता की बाढ़ में,
जल-बिन्दु सा बह जाए।
सरल अति स्वच्छ्न्द
जीवन, प्रात के लघुपात से,
उत्थान-पतनाघात से
रह जाए चुप,निर्द्वन्द ।