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लिख दूँ नया विधान / शशि पाधा

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करता नव आह्वान
नए वर्ष के लक्ष्य पटल पर
लिख दूँ नया विधान |
प्रेम रंग मैं घोलूँ ऐसा
धरती भीगे –निखरेभीगे–निखरेन सीमा पर अस्त्र –शस्त्र अस्त्र–शस्त्र हों
न कोई बिछुड़े – सिहरे
हर रोते बच्चे के मुख पर
मल दूँ चिर मुस्कान
ऐसा लिखूँ विधान |
पर्वत- तरुवर, सागर- झरने
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