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"शब्द ब्रह्म / किशोर काबरा" के अवतरणों में अंतर

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ज्यों ज्यों तुम्हारा मौन <br>
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मुखर होता जाएगा<br>
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ज्यों ज्यों तुम्हारा मौन  
त्यों त्यों तुम्हारा शब्द<br>
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मुखर होता जाएगा
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शब्द ब्रह्म है जो मौन से प्राप्त होता है<br>
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प्रखर होता जाएगा
मौन में जीता है<br>
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शब्द ब्रह्म है जो मौन से प्राप्त होता है
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मौन में जीता है
 
और मौन में ही समाप्त होता है।
 
और मौन में ही समाप्त होता है।
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16:01, 4 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण

शब्द
सम्पत्ति है,
पूँजी है
उसे व्यर्थ मत जाने दो
चार की जगह दो को
अपनी बात सुनाने दो
जहाँ एक भी ज्यादा लगे
वहाँ
आधे से काम लो
जहाँ आधा भी ज्यादा लगे
वहाँ
उसके आधे पर विराम लगे
और फिर
संकेतों की भाषा
समझने दो लोगों को
फिर
मौन की परिभाषा
समझने दो लोगों को
ज्यों ज्यों तुम्हारा मौन
मुखर होता जाएगा
त्यों त्यों तुम्हारा शब्द
प्रखर होता जाएगा
शब्द ब्रह्म है जो मौन से प्राप्त होता है
मौन में जीता है
और मौन में ही समाप्त होता है।