भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जान जाई त जाई / जनकवि भोला" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जनकवि भोला |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBho...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:32, 16 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
जान जाई त जाई, ना छूटी कभी
बा लड़ाई ई लामा, ना टूटी कभी
रात-दिन ई करम हम त करबे करब
आई त आई, ना रुकी कभी
बा दरद राग-रागिन के, गइबे करब
दुख आई त आई, ना झूठी कभी
साथ साथी के हमरा ई जबसे मिलल
नेह के ई लहरिया, ना सूखी कभी