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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बरस एकादशी करिये
नणदळ न्हावा ने जईये
राधा, रूकमणी और सतभामा
ललता से कहिये
कुवजा से कहिये
बाईजी न्हावा ने जईये
गंगा, जमना और सरसती
तिरवेनी में न्हइये
भवसागर तिरिये
बाईजी न्हावा ने जईये
न्हाई धोई सुमिरण करस्यां
गऊ सेवा करिहें
गऊ पूजा करिये
नणदल न्हावा ने जईये
सांवलिया नी संग जो रेस्यां
सोयलड़ो चईये
बाईजी न्हावा ने जईये
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
हरि चरणा रहिये
प्रभु चरणा रहिये
बाईजी न्हावाने जईये