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"भैय्या घरअ् भयो नंदलाल / पँवारी" के अवतरणों में अंतर

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बीर को बारसा मनाहूँ, बाटहूं मऽ ते घुंगरी
 
बीर को बारसा मनाहूँ, बाटहूं मऽ ते घुंगरी
 
भैय्या घरअ् भयो बारो लाल, बाट्हूँ मऽ ते घुंगरी
 
भैय्या घरअ् भयो बारो लाल, बाट्हूँ मऽ ते घुंगरी
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भाई का कथन- चल चल बहिना गाय का कोठा
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अच्छी-अच्छी गाय निवाड़ ले...बहिना बाई
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बहन का कथन- पाँच बरस को बरद मनायो
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का करू भैय्या तोरी गाय को
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भौजी का कंगना दिला बीरन मखअ्
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पाच बरस को बरद मनायो
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भाई- भौजी का कंगना ओका, मायका सी आया
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कंगना दिया नी जाय ओ बीना बाई
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आऊपर कई मांग ले मऽ सीअ्
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पाच बरस को बरद मनायो।
 
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17:29, 19 मार्च 2015 के समय का अवतरण

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भैय्या घरअ् भयो नंदलाल
काहे की डालू घुंगरी
हरो लिलो गहूँ कटाय
ओकी म डाल्हूँ घुंगरी
गांव भर खअ् बुलाहूँ, घुंगरी खिलाहूँ
बीर को बारसा मनाहूँ, बाटहूं मऽ ते घुंगरी
भैय्या घरअ् भयो बारो लाल, बाट्हूँ मऽ ते घुंगरी

भाई का कथन- चल चल बहिना गाय का कोठा
अच्छी-अच्छी गाय निवाड़ ले...बहिना बाई
बहन का कथन- पाँच बरस को बरद मनायो
का करू भैय्या तोरी गाय को
भौजी का कंगना दिला बीरन मखअ्
पाच बरस को बरद मनायो
भाई- भौजी का कंगना ओका, मायका सी आया
कंगना दिया नी जाय ओ बीना बाई
आऊपर कई मांग ले मऽ सीअ्
पाच बरस को बरद मनायो।