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"जरूरी नहीं.../अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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('जरूरी नहीं जो पढ़ा है तुमने पढ़ा सकोगे जिनके घर बने...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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जरूरी नहीं | जरूरी नहीं | ||
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जो पढ़ा है तुमने | जो पढ़ा है तुमने | ||
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पढ़ा सकोगे | पढ़ा सकोगे | ||
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जिनके घर | जिनके घर | ||
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बने हुए शीशे के | बने हुए शीशे के | ||
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लगाते पर्दे | लगाते पर्दे | ||
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तेरी-मेरी है | तेरी-मेरी है | ||
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बस एक कहानी | बस एक कहानी | ||
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राजा न रानी | राजा न रानी | ||
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प्रभु के लिए | प्रभु के लिए | ||
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छप्पन भोग बने | छप्पन भोग बने | ||
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खाये पुजारी | खाये पुजारी | ||
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बड़े दिनों से | बड़े दिनों से | ||
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मन है मिलने का | मन है मिलने का | ||
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समय नहीं | समय नहीं | ||
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उल्लू के पठ्ठे | उल्लू के पठ्ठे | ||
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उल्लू नहीं होंगे तो | उल्लू नहीं होंगे तो | ||
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भला क्या होंगे | भला क्या होंगे | ||
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कहने को तो | कहने को तो | ||
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सफर है सुहाना | सफर है सुहाना | ||
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थकते जाना | थकते जाना | ||
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कितने कवि | कितने कवि | ||
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कविता लिखने से | कविता लिखने से | ||
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हुए पागल | हुए पागल | ||
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पड़ी लकड़ी | पड़ी लकड़ी | ||
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जब भी है उठायी | जब भी है उठायी | ||
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आफ़त आयी | आफ़त आयी | ||
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आदेश हुआ | आदेश हुआ | ||
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महिला हो मुखिया | महिला हो मुखिया | ||
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कागज़ पर | कागज़ पर |
11:59, 20 मार्च 2015 का अवतरण
जरूरी नहीं
जो पढ़ा है तुमने
पढ़ा सकोगे
जिनके घर
बने हुए शीशे के
लगाते पर्दे
तेरी-मेरी है
बस एक कहानी
राजा न रानी
प्रभु के लिए
छप्पन भोग बने
खाये पुजारी
बड़े दिनों से
मन है मिलने का
समय नहीं
उल्लू के पठ्ठे
उल्लू नहीं होंगे तो
भला क्या होंगे
कहने को तो
सफर है सुहाना
थकते जाना
कितने कवि
कविता लिखने से
हुए पागल
पड़ी लकड़ी
जब भी है उठायी
आफ़त आयी
आदेश हुआ
महिला हो मुखिया
कागज़ पर