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मद अब देत करेजे जारें
आई बसन्त बहारें।
सीतल पवन लगत है ऐसी,
मानो अगन की झारें।
बोल-कोकिला लगें तीर से
लेवें प्राण निकारे।
आमन-मौर झोंर के ऊपर
भोंर करत गुन्जारे।
ईसुर पाती देव पीतम खाँ
घर खों बेग पधारें।