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"रइयो करन हार से डरते / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
रइयो करन हार से डरते।
पल में परलै परते।
पल में धरती बूँद न आवै,
पल में सागर भरतें।
पल में बिगरे बना देत हैं।
पल मैं बने विगरते।
तृन सें बज्र-बज्र से तिनका।
तिल सें बज्जुर करते।
ईसुर कयें करता की बातें।
बिरलें कोई नजरते।