"कोकिल / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयशंकर प्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
नये कमल-दल-बीच गया किंजल्क-पुंज है | नये कमल-दल-बीच गया किंजल्क-पुंज है | ||
नया तुम्हारा राग मनोहर श्रुति सुखकारी | नया तुम्हारा राग मनोहर श्रुति सुखकारी | ||
− | नया कण्ठ कमनीय, वाणि वीणा | + | नया कण्ठ कमनीय, वाणि वीणा-अनुकारी |
यद्यपि है अज्ञात ध्वनि कोकिल ! तेरी मोदमय | यद्यपि है अज्ञात ध्वनि कोकिल ! तेरी मोदमय | ||
− | तो भी मन सुनकर हुआ | + | तो भी मन सुनकर हुआ शीतल, शांत, विनोदमय |
विकसे नवल रसाल मिले मदमाते मधुकर | विकसे नवल रसाल मिले मदमाते मधुकर |
16:54, 2 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
नया हृदय है, नया समय है, नया कुंज है
नये कमल-दल-बीच गया किंजल्क-पुंज है
नया तुम्हारा राग मनोहर श्रुति सुखकारी
नया कण्ठ कमनीय, वाणि वीणा-अनुकारी
यद्यपि है अज्ञात ध्वनि कोकिल ! तेरी मोदमय
तो भी मन सुनकर हुआ शीतल, शांत, विनोदमय
विकसे नवल रसाल मिले मदमाते मधुकर
आलबाल मकरन्द-विन्दु से भरे मनोहर
मंजु मलय-हिल्लोल हिलाता है डाली को
मीठे फल के लिये बुलाता जो माली को
बैठे किसलय-पुंज में उसके ही अनुराग से
कोकिल क्या तुम गा रहे, अहा रसीले राग से
कुमुद-बन्धु उल्लास-सहित है नभ में आया
बहुत पूर्व से दौड़ा था, अब अवसर पाया
रूका हुआ है गगन-बीच इस अभिलाषा से
ले निकाल कुछ अर्थ तुम्हारी नव भाषा से
गाओ नव उत्साह से, रूको न पल-भर के लिये
कोकिल ! मलयज पवन में भरने को स्वर के लिये