भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सृजन के जीन / किरण मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किरण मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
आने वाला कल एण्टी-एजिंग साइंस का है
 
आने वाला कल एण्टी-एजिंग साइंस का है
  
ये में रख  जाऊँगी उन पीढ़ियों के  लिए जो
+
ये मैं रख  जाऊँगी उन पीढ़ियों के  लिए जो
 
आधे मशीन बने असन्तुष्ट अवसाद में घिरे
 
आधे मशीन बने असन्तुष्ट अवसाद में घिरे
 
खोज रहे होंगे सन्तुष्टि और सृजन के जीन को
 
खोज रहे होंगे सन्तुष्टि और सृजन के जीन को
 
</poem>
 
</poem>

12:38, 13 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

प्रेम की भाषा, अपनत्व के छन्द
सुकून के पल,
मैंने जमा कर के रख लिए है

ये सोच कर
तकनीकी के बाज़ार में इनकी जरूरत किसे
आने वाला कल एण्टी-एजिंग साइंस का है

ये मैं रख जाऊँगी उन पीढ़ियों के लिए जो
आधे मशीन बने असन्तुष्ट अवसाद में घिरे
खोज रहे होंगे सन्तुष्टि और सृजन के जीन को