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"समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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08:49, 15 जनवरी 2008 का अवतरण
समय क्षण-भर थमा सा :
फिर तौल डैने
उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर :
मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित ।
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
फूट तारे ने कहा : रे समय,
- तू क्या थक गया ?
रात का संगीत फिर
तिरने लगा आकाश में ।