भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इलाकै रो आदमी / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:46, 4 मई 2015 के समय का अवतरण
जद जीतै कोई
इलाकै रो आदमी
इलाकै में
और कीं नुंवो
निगै आवै न आवै
बीं री धूूंस
पाटती
अैन निगै आवै।