भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ध्वज-वंदना / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
{{KKAnthologyDeshBkthi}}
 +
<poem>
 +
नमो, नमो, नमो...
  
नमो, नमो, नमो।<br><br>
+
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
 +
नमो नगाधिराज - श्रृंग की विहारिणी!
 +
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
 +
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
 +
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
 +
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!
  
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !<br>
+
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
नमो नगाधिराज - श्रृंग की विहारिणी !<br>
+
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!<br>
+
सत्य न्याय के हेतु
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!<br>
+
फहर फहर ओ केतु
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!<br>
+
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!<br><br>
+
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
  
हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।<br>
+
तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।<br>
+
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सत्य न्याय के हेतु<br>
+
सेवक सैन्य कठोर
फहर फहर ओ केतु<br>
+
हम चालीस करोड़
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु<br>
+
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!<br><br>
+
करते तव जय गान
 
+
वीर हुए बलिदान,
तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!<br>
+
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।<br>
+
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
सेवक सैन्य कठोर<br>
+
</poem>
हम चालीस करोड़<br>
+
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर<br>
+
करते तव जय गान<br>
+
वीर हुए बलिदान,<br>
+
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!<br>
+
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!<br><br>
+

10:14, 6 मई 2015 का अवतरण

नमो, नमो, नमो...

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज - श्रृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!

हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु
फहर फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!

तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर
हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान
वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!