भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मंडसी तो ई / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:03, 9 मई 2015 के समय का अवतरण
आज फेरूं मंडया है
बादळ
आगै किस्या मंडया कोनी
ठीक है
बां कोनी करया न्ह्याल
पण बादळ मंडसी
तो ई बरस सी ।