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"प्रार्थना / मुकुटधर पांडेय" के अवतरणों में अंतर
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दया अब करो दयामय राम!
अशरण-शरण करन सुख-सम्पतिक करुणा के शुभ धाम।
दीन बन्धु दुःख के नाशक हो, हे प्रभु पूरन काम
दया दृष्टि मुझ पर अब होवे, करता तुम्हें प्रणाम्
कहता जब संसार भोग निज करनी का परिणाम
तब तुम उठा गोद में देते दुखिया को विश्राम।