भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गाँधी जी / सूर्यकुमार पांडेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यकुमार पांडेय |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:01, 15 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
अगर आज गाँधी जी होते!
क़दम-क़दम पर झूठ देखकर,
जाति-धर्म की फूट देखकर,
नहीं एक पल भी वो सोते।
अगर आज गाँधी जी होते!
युद्ध अशान्ति, देश में झगड़े,
हिंसा, रंगभेद के लफ़ड़े,
देख-देखकर नयन भिगोते।
अगर आज गाँधी जी होते!
बम, बन्दूक़, छुरे की भाषा,
उग्रवाद का देख तमाशा,
सत्य-न्याय के बिरवे बोते।
अगर आज गाँधी जी होते!
सत्याग्रह, अनशन के द्वारा,
करते वे कल्याण हमारा,
एक सूत्र में हमें पिरोते।
अगर आज गाँधी जी होते!