भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हो सके तो मुझे भुला देना / सिया सचदेव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिया सचदेव |अनुवादक= |संग्रह=अभी इ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:35, 22 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

हो सके तो मुझे भुला देना
तेरी यादों ने जब भी आ घेरा
दिल पे ग़म ने लगा लिया डेरा
अश्क़ आँखों से यूँ बरसते है
रोज़ हम एक मौत मरते है

टीस दिल में उतर सी जाती है
रूह मेरी सिहर सी जाती है
इस क़दर दम सा घुटने लगता है
और दिल में धुवाँ सा उठता है

तल्ख़ बाते जो दिल जलाती है
मेरी सांसे उखड सी जाती है
थरथराने लगे बदन मेरा