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"आँगन की अल्पना सँभालिए / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर
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घुस न जाएँ आंधियाँ मकान में, | घुस न जाएँ आंधियाँ मकान में, | ||
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झागदार मेघ उग रहे | झागदार मेघ उग रहे | ||
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नर्म धूप के उबाल में | नर्म धूप के उबाल में | ||
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शोरमुखी एक खलबली | शोरमुखी एक खलबली | ||
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उपवन-सी आस्था हुई | उपवन-सी आस्था हुई | ||
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पहले से और जंगली | पहले से और जंगली | ||
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19:27, 30 जुलाई 2015 का अवतरण
दरवाज़े तोड़-तोड़ कर
घुस न जाएँ आंधियाँ मकान में,
आँगन की अल्पना सँभालिए ।
आई कब आँधियाँ यहाँ
बेमौसम शीतकाल में
झागदार मेघ उग रहे
नर्म धूप के उबाल में
छत से फिर कूदे हैं अँधियारे
चन्द्रमुखी कल्पना स~मभालिए ।
आँगन से कक्ष में चली
शोरमुखी एक खलबली
उपवन-सी आस्था हुई
पहले से और जंगली
दीवारों पर टँगी हुई
पँखकटी प्रार्थना सँभालिए ।