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"चराग़े-दिल / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर

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चराग़ों ने अपने ही घर को जलाया
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सिसकियों में हों पल रहे जैसे
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तुझको अपना खुदा बनाया है

19:15, 18 जून 2008 का अवतरण


चराग़े-दिल
रचनाकार देवी नांगरानी
प्रकाशक
वर्ष
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
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दर्द बनकर समा गया दिल में छीन ली मुझसे मौसम ने आज़ादियाँ चराग़ों ने अपने ही घर को जलाया सिसकियों में हों पल रहे जैसे तुझको अपना खुदा बनाया है