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"जुड़वाँ की मुसीबत / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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एक साथ जन्मे हम दोनों ,
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एक साथ जन्मे हम दोनों,
        मैं औ मेरा भाई।
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मैं औ मेरा भाई।
                    किन्तु शकल सूरत मिलने से ,
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किन्तु शकल सूरत मिलने से,
            बेहद आफत आई।
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बेहद आफत आई।
                      मैं हूँ कौन? कौन है भैया?
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मैं हूँ कौन? कौन है भैया?
          समझ न कोई पाता ,
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समझ न कोई पाता,
                        जाता यदि वह नहीं मदरसे ,
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जाता यदि वह नहीं मदरसे,
              तो मैं ही पिट जाता।  
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तो मैं ही पिट जाता।
    भाई का ले नाम मुझे थे ,
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भाई का ले नाम मुझे थे,
              घर के लोग बुलाते।
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घर के लोग बुलाते।
  पड़ता वह बीमार - दवाई  
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पड़ता वह बीमार - दवाई
                लेकिन मुझे पिलाते।
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लेकिन मुझे पिलाते।
    धोखे में आ मात पिता ने ,
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धोखे में आ मात पिता ने,
                भी की भूल घनेरी।
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भी की भूल घनेरी।
    भाई से ब्याहा उसको ,
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भाई से ब्याहा उसको,
                  जो होती दुलहिन मेरी।
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जो होती दुलहिन मेरी।
      क्या बतलाऊँ मुसीबतें ,
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क्या बतलाऊँ मुसीबतें,
                    क्या पड़ीं शीश पर पटपट ,
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क्या पड़ीं शीश पर पटपट,
      भाई जब मर गया मुझी को ,
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भाई जब मर गया मुझी को,
                      लोग ले गए मरघट।
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लोग ले गए मरघट।
 
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16:30, 21 अगस्त 2015 के समय का अवतरण

एक साथ जन्मे हम दोनों,
मैं औ मेरा भाई।
किन्तु शकल सूरत मिलने से,
बेहद आफत आई।
मैं हूँ कौन? कौन है भैया?
समझ न कोई पाता,
जाता यदि वह नहीं मदरसे,
तो मैं ही पिट जाता।
भाई का ले नाम मुझे थे,
घर के लोग बुलाते।
पड़ता वह बीमार - दवाई
लेकिन मुझे पिलाते।
धोखे में आ मात पिता ने,
भी की भूल घनेरी।
भाई से ब्याहा उसको,
जो होती दुलहिन मेरी।
क्या बतलाऊँ मुसीबतें,
क्या पड़ीं शीश पर पटपट,
भाई जब मर गया मुझी को,
लोग ले गए मरघट।