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"पर्यावरण-1 / राजा खुगशाल" के अवतरणों में अंतर
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पहले कुछ पत्ते उड़े, फिर थोड़े से लोग | पहले कुछ पत्ते उड़े, फिर थोड़े से लोग |
14:33, 12 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण
वह जैसा था
वैसा ही गूँजता रहा हवा में
उसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया
और न इसके लिए उसने
किसी तरह का कोई वातावरण रचा
वह उठा
और चुपचाप चला गया सभा-कक्ष से
सड़क पर बस की प्रतीक्षा में उसने पाया
अमलतास का दरख़्त नीला
और आसमान हरा
उसने देखा पृथ्वी की चिन्ता में
भाप उठने लगी है समुद्रों से
धरती से भू-उपग्रहों की ओर
पहले कुछ पत्ते उड़े, फिर थोड़े से लोग
फिर बारिश में घुलने लगा
वक़्त का बुझा हुआ चेहरा ।