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"मिलेंगे कभी / असंगघोष" के अवतरणों में अंतर

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21:25, 13 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

कभी
किसी मोड़
पर
मिले तो
यह बढ़ते कदम
ठिठक जाएँगे।
कुछ क्षण

उसी वक्त याद आएगी
तुम्हारी हर करतूत
मेरी आँखों के
सामने तैर जाएगी
तुम्हारा हर अत्याचार

अपनी
अंगार आँखों से
उड़ेलूँगा
सारी नफरत
तुम पर,
और बढ़ जाऊँगा आगे।