भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शांताकारम भुजंगशयनम / श्लोक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् . | इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् . | ||
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५.. | मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५.. | ||
+ | |||
+ | |||
+ | Shantakaram bhujagsyanam padmanabham suresham | ||
+ | vishwadharam gagan sradhisham yogibhidhistaragayam | ||
+ | vande vishnu bhav bhay haram sarva lokik natham |
12:03, 29 मार्च 2008 का अवतरण
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् . नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..
कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् . पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २..
भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् . रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३..
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् . आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४..
इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् . मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..
Shantakaram bhujagsyanam padmanabham suresham
vishwadharam gagan sradhisham yogibhidhistaragayam
vande vishnu bhav bhay haram sarva lokik natham