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"गिद्ध शाकाहारी नहीं होते / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जब जयगान
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तीन बार गा लिया जाएगा
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तब बटेंगी मिठाइयाँ
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मिठाइयाँ लेकर लोग
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जब लौट रहे होंगे घर
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झपट्टे मारेंगे गिद्ध
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गिद्ध शाकाहारी नहीं होते
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फिर क्या खायेंगे वे
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शून्यकाल के इस प्रश्न पर
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चीलों की संसद में बहस जारी है ।
  
  
 
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16:48, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण


गिद्ध शाकाहारी नहीं होते


आधी शताब्दी से ज़्यादा दिनों तक
आज़ाद रहने के बाद
मैं जिस जगह खड़ा हूँ
वहाँ की ज़मीन दलदल में बदल रही है
और आसमान गिद्धों के कब्जे में है

लोकतन्त्र के लोक को
सावधान की मुद्रा में खड़ा कर दिया गया है
हारमोनियम पर एक ग्लोबल शासिका के लिए लिखा गया
स्वागत गान बज रहा है

जब जयगान
तीन बार गा लिया जाएगा
तब बटेंगी मिठाइयाँ
मिठाइयाँ लेकर लोग
जब लौट रहे होंगे घर
झपट्टे मारेंगे गिद्ध

गिद्ध शाकाहारी नहीं होते
फिर क्या खायेंगे वे
शून्यकाल के इस प्रश्न पर
चीलों की संसद में बहस जारी है ।