"सुथरी शान का छोरा / मेहर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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वार्ता- रणबीर सैन की बात सुण के एक सखी कहती है कि आप को राजकुमारी से मिलवा तो नहीं सकती लेकिन आप उसे छिप कर देख सकते हैं। राजकुमारी जब तालाब में न्हाने के लिये आती है तो एक सखी पदमावत को रणबीर सैन के बारे में क्या कहती है सुनिए-
जाणूं झल लिकड़ै है आग में सूरज की उनिहार
सुथरी शान का छोरा।टेक
हो ज्यांगे निहाल, इतना करिए ख्याल
रंगलाल पान की लाग में हे घिट्टी तक एकसार
चमकै हे पीक का डोरा।
इसकी तै बहुत कणीं, इसका ना कोए धणी
जणू मणी चमक री नाग में, सारे कै चमकार
कित लग चान्दणा होरया।
हो ज्यागी पार गति, ना रहै मूढ़मति
जिन्हें इसा पति लिखा लिया भाग में,
सदा सुखी वे नार पतला गाभरू गोरा।
सब ढालों के ढंग की, इसे सत्संग की
मेहरसिंह की रलै सै रागनी राग में हो ज्यांगे बेड़े पार
इसे छन्द नै कड़ै ल्हकोर्या।