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"सावन का महीना हो / वज़ीर आग़ा" के अवतरणों में अंतर

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02:56, 19 मई 2016 के समय का अवतरण

सावन का महीना हो
हर बूंद नगीना हो

क़ूफ़ा हो ज़बां उसकी
दिल मेरा मदीना हो

आवाज़ समंदर हो
और लफ़्ज़ सफ़ीना हो

मौजों के थपेड़े हों
पत्थर मिरा सीना हो

ख़्वाबों में फ़क़त आना
क्यूं उसका करीना हो

आते हो नज़र सब को
कहते हो, दफ़ीना हो